November 10, 2025 4:46 pm

[the_ad id="14531"]

16% ज्यादा लोगों की किडनी खराब, जवानी में बर्बाद कर रही 8 चीजें, तुरंत भाग जाएं दूर

किडनी की खराबी अचानक नहीं होती, 8 कारण धीरे-धीरे इसे विकसित करते हैं। पिछले कुछ सालों में किडनी के मरीजों की संख्या बढ़ी है। अब यह जवानी में ही परेशान करने लगी है। इससे बचने के लिए डॉक्टर का तरीका अपना लें।

किडनी खून को साफ करने और जहरीले टॉक्सिन निकालने का काम करती हैं। इसलिए जब भी इनके अंदर खराबी आती है तो सबसे पहले पेशाब में लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। बार बार पेशाब आना, पेशाब की धार कमजोर होना, पेशाब में झाग बनना इसके खराब होने के प्रमुख लक्षण हैं।

जयपुर स्थित मणिपाल हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी के कंसल्टेंट डॉ. वैभव गुप्ता ने बताया कि भारत में किडनी डिजीज के मामले चुपचाप बढ़ते जा रहे हैं। नेफ्रोलॉजी में छपी स्टडी में क्रोनिक किडनी डिजीज का ट्रेंड 2011 से 2017 तक 11.2% था, जो कि 2018 से 2023 में बढ़कर 16.38% हो गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि यह आंकड़ा 15 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों का है।

मतलब जिस बीमारी को हम अभी तक बुढ़ापे का संकट समझ रहे थे, वो जवानी में ही आने लगी है। वयस्कों में किडनी का काम ना करना बढ़ता जा रहा है। इसे रोकने के लिए हमें समझना होगा कि आखिर इसके कारण क्या हैं और इन्हें रोका कैसे जा सकता है।क्रोनिक किडनी डिजीज को पकड़ना मुश्किल

डॉ. वैभव गुप्ता ने बताया कि क्रोनिक किडनी डिजीज का विकास चरणों में होता है और अक्सर इसका पता लगाना मुश्किल होता है। निचले अंगों में सूजन आना और ब्लड प्रेशर बढ़ने जैसे लक्षण बेहद आम होते हैं। यह गुर्दों में जन्मजात विकार की वजह से भी हो सकती है। इसके अलावा ये 8 चीज भी खतरा बढ़ाती हैं।

डायबिटीज और हाई बीपी

ये किडनी खराब होने के दो प्रमुख कारण हैं, जिनसे कुल मामलों का लगभग 35-40% हिस्सा आता हैं। भारत मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर के बढ़ते मरीजों की आबादी से जूझ रहा है और इसका नुकसान अक्सर किडनी पर पड़ता है। ब्लड ग्लूकोज और बीपी का बढ़ना गुर्दों के छोटे छोटे फिल्टर्स को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाते रहता है।

हाइड्रेशन की कमी और ज्यादा नमक

कई लोग प्रोसेस्ड फूड्स खाकर अनजाने में नमक का अत्यधिक सेवन कर रहे हैं। यह बाजार में मिलने वाले अचार, पैकेज्ड स्नैक्स और रेस्टोरेंट के खाने से मिलता है। ज्यादा नमक ब्लड प्रेशर बढ़ाता है और फ्लूइड व मिनरल का बैलेंस बिगड़ जाता है। कम पानी पीने से क्रोनिक डिहाइड्रेशन होता है जो समय के साथ क्रोनिक किडनी डिजीज में बदल सकता है।

मोटापा और सुस्त लाइफस्टाइल

आजकल पहले से ज्यादा बैठकर घंटों काम करना पड़ता है, जिससे फिजिकल एक्टिविटी में कमी आ गई है। इससे मोटापे में और बढ़ोतरी हुई है। मोटापे से होने वाली बीमारियों की लंबी लिस्ट हैं, लेकिन किडनी डिजीज से जुड़े दो कारण टाइप 2 डायबिटीज और हाई बीपी प्रमुख हैं।

एनवायरमेंटल और वॉटर टॉक्सिन

सीसा, कैडमियम और आर्सेनिक जैसे भारी मेटल के लगातार संपर्क में रहने से किडनी की बीमारी बढ़ रही है। एनवायरमेंटल टॉक्सिन के संपर्क में आने से हेल्थ पर बहुत बुरा नुकसान पड़ता है, जिससे किडनी को काफी डैमेज होता है।

क्या करें?

क्रोनिक किडनी डिजीज का पता लगाने के लिए ब्लड और यूरीन टेस्ट किए जाते हैं। दिक्कत यह है कि इस बीमारी का पता अक्सर देर से लगता है, जबतक किडनी खराब होने के कगार पर होती है। ऐसे में डैमेज रोकने के लिए मरीज के पास दो ऑप्शन बचते हैं, डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट। इसके अलावा बीपी-शुगर का लेवल कंट्रोल रखें और रेगुलर चेक करें। डाइट में नमक और प्रोसेस्ड फूड कम करें। एक्सरसाइज और हाइड्रेशन से वजन कंट्रोल रखें।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

salam india
Author: salam india

Leave a Comment

[youtube-feed feed=1]
Advertisement
[the_ad_group id="33"]
[the_ad_group id="189"]