चुनाव आयोग ने शुक्रवार (18 जुलाई) को दावा किया है कि बिहार में मतदाता सूची के विवादास्पद विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान अब तक 36 लाख से अधिक मतदाता अपने पते पर नहीं पाए गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले शुरू किए गए इस अभियान पर जारी अपने हालिया बयान में चुनाव आयोग ने बताया कि अब तक कुल 94.68% मतदाताओं (7,48,59,631 लोगों) को इस प्रक्रिया के तहत ‘कवर’ कर लिया गया है.
आयोग ने कहा कि मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की जाएगी. इसके बाद राजनीतिक दलों और आम नागरिकों को एक महीने का समय दिया जाएगा ताकि वे किसी भी सुधार या छूटे हुए नामों को शामिल कराने की मांग कर सकें.
अपने बयान में आयोग ने आश्वस्त करते हुए कहा, ‘24 जून 2025 को जारी एसआईआर आदेश (पृष्ठ 2, पैरा 7) के अनुसार, राजनीतिक दलों और आम जनता को किसी भी सुधार की आवश्यकता या छूटे हुए नामों को जोड़ने के लिए पूरे एक महीने का समय दिया जाएगा. इसके लिए मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को मसौदा मतदाता सूची की प्रिंटेड और डिजिटल प्रतियां मुफ्त में दी जाएंगी और यह सार्वजनिक रूप से चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध रहेगी. इसलिए जनता को आश्वस्त रहना चाहिए कि कोई भी योग्य मतदाता नहीं छूटेगा.’
इससे पहले 14 जुलाई को आयोग ने कहा था कि बिहार में 35,69,435 नाम मतदाता सूची से हटाए जा सकते हैं. अब यह संख्या 1,17,536 की वृद्धि के साथ बढ़कर 36,86,971 हो गई है.
इसके अलावा आयोग का यह भी कहना है कि 12,71,414 मतदाता ‘संभावित रूप से मृत’ हैं. 14 जुलाई को यह आंकड़ा 12,55,620 था.
‘संभावित रूप से स्थायी तौर पर स्थानांतरित’ मतदाताओं की संख्या अब 18,16,306 है, जो 14 जुलाई को 17,37,336 थी.
एक से अधिक स्थानों पर नामांकित मतदाताओं की संख्या 5,92,273 बताई गई है, जो कि पहले 5,76,479 थी.
वहीं ‘ट्रेस नहीं हो सके’ यानी खोजे न जा सके मतदाताओं की संख्या 6,978 बताई गई है.
आयोग का कहना है कि उसे 7,11,72,660 यानी 90.12% गिनती फॉर्म (एन्युमरेशन फॉर्म्स) प्राप्त हो चुके हैं, जिनमें से 6,85,34,743 यानी 86.79% को डिजिटाइज़ किया जा चुका है.
इसका मतलब है कि अब भी 5.2% यानी 41,10,213 फॉर्म आयोग को प्राप्त नहीं हुए हैं.
हालांकि, चुनाव आयोग के इन दावों पर कई विश्लेषकों ने सवाल खड़े किए हैं.
द वायर की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे 1 जुलाई को आयोग ने एक ही दिन में 1.18 करोड़ फॉर्म एकत्र करने का दावा किया, यानी पूरे 24 घंटे तक हर मिनट 8,200 से अधिक और हर सेकंड 137 फॉर्म भरे गए.
गौरतलब है कि चुनाव से चंद महीने पहले शुरू हुए एसआईआर अभियान को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. कोर्ट ने चुनाव आयोग से 28 जुलाई तक जवाब मांगा है.
चुनाव आयोग ने एसआईआर के लिए दस्तावेज़ों की एक सूची जारी की है, जिन्हें मतदाता पहचान के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है. हैरानी की बात यह है कि इसमें आधार कार्ड को शामिल नहीं किया गया है, जबकि पहले स्वयं आयोग ने इसे मतदाता पहचान पत्र से जोड़ने की वकालत की थी. और इतना ही नहीं, आयोग ने अपनी ही जारी की गई मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) को भी दस्तावेज़ों की सूची से बाहर रखा है.





