November 10, 2025 9:16 pm

[the_ad id="14531"]

“जांच नहीं, बंदरबांट पर पर्दा!” मध्यप्रदेश के वन विकास निगम में करोड़ों का घोटाला – आरोपों को दबाने में जुटे अफसर, शिकायतकर्ता को ही बना डाला झूठा-पिटिशन जबलपुर हाईकोर्ट में दर्ज 

अब्दुल सलाम क़ादरी

कोतमा। शहडोल। उमरिया | विशेष रिपोर्ट

मध्यप्रदेश के उमरिया वन विकास निगम में घोटाले की बू सिर्फ ज़मीनी स्तर तक सीमित नहीं है, ये बदबू अब सिस्टम के ऊपरी गलियारों में भी फैल चुकी है। 50% से ज़्यादा राशि का गबन, फर्जी भुगतान, और दस्तावेज़ी धांधली की खुली शिकायतों के बावजूद अब तक कोई ठोस जांच शुरू नहीं हुई। उल्टा, वो पत्रकार जिसने घोटाले की परतें उधेड़ीं, आज खुद ही कठघरे में खड़ा कर दिया गया।

शिकायत दर्ज, सबूत सौंपे — लेकिन अफसरान मौन!

2 सितंबर 2024 को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकार संघ की ओर से दो बिंदुवार शिकायतें भेजी गई थीं—

  1. जमुना कोल्हान, सोहागपुर और पाली नौरोसाबाद क्षेत्र में लगभग 50% राशि की हेराफेरी।
  2. फर्जी बिल- पौधों की खरीद, दवाई, खाद, मजदूरी भुगतान में खेल, वाहनों और मटेरियल की झूठी एंट्री।

सबूत क्या थे? वीडियो कवरेज, ग्राउंड रिपोर्ट, मजदूरों के बयान, दस्तावेज़ी रिकॉर्ड, फर्जी हस्ताक्षर की पोल खोलती फाइलें। पर हुआ क्या? न जांच शुरू हुई, न जवाब मिला — मिला तो सिर्फ़ ‘ये शिकायत मनगढ़ंत है’ कहकर किनारा।

क्या यही है डबल इंजन सरकार की ज़मीन पर हकीकत?

एक तरफ मुख्यमंत्री मंच से पारदर्शिता और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की बात करते हैं, दूसरी तरफ अधिकारी अपनी कुर्सियां बचाने के लिए शिकायतों को ही झूठा ठहराने में जुटे हैं। सवाल ये है — जब जांच ही नहीं हुई तो कौन तय करेगा कि शिकायत सही थी या गलत?

अधिकारियों की मिलीभगत या आदेशों की अवहेलना?

  • पौधों की फर्जी गिनती — फील्ड में आधे से ज्यादा पौधो का नामोनिशान नहीं, फाइल में हज़ारों
  • मजदूरी दर 351 की जगह 230 रुपए का भुगतान — फिर भी पूरा क्लेम
  • गाड़ी किराया और पौधा ढुलाई की सप्लाई — जिनका अस्तित्व सिर्फ कागज़ पर

शिकायतकर्ता को धमकाने की कोशिश!

पत्रकार अब्दुल सलाम क़ादरी ने बताया कि, “मैंने प्रमाण दिए, रिपोर्टें चलाईं, खत भेजे — अब मुझे ही झूठा बताया जा रहा है। ये सिर्फ़ मुझे नहीं, हर उस आवाज़ को दबाने की कोशिश है जो भ्रष्टाचार के खिलाफ उठे।” हमने इस मामले को लेकर अब हाईकोर्ट का रुख किया, जबसे एसईसीएल की खदाने चल रही है तबसे आज तक कितने पौधे लगाए गए क्या खर्च हुआ कहा कहा पौधे लगे ये सब निगम के अधिकारियों को हाईकोर्ट को बताना होगा। अब देखते है हाईकोर्ट सही होगा या निगम सही होगा। निगम के अधिकारियों की संपत्ति की भी जांच की मांग भी पिटीशन में शामिल है और जल्द ही पिटीशन फाइल कर दिया जाएगा।

अब सवाल सत्ता से है:

  • क्या सरकार इस मामले की जांच उच्चस्तरीय समिति या CBI या Eow से कराएगी?
  • क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या उन्हें पदों से बचाया जाएगा?
  • क्या शिकायतकर्ता को सुरक्षा दी जाएगी या आगे भी कुचला जाएगा?

अब इस भ्रष्ट तंत्र को उजागर करना जनता की जिम्मेदारी है — क्योंकि चुप रहना अब सीधे सिस्टम की मिलीभगत को स्वीकार करना होगा।a

salam india
Author: salam india

Leave a Comment

[youtube-feed feed=1]
Advertisement
[the_ad_group id="33"]
[the_ad_group id="189"]