November 11, 2025 2:43 am

[the_ad id="14531"]

संघ की संविधान से ‘समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटाने की मांग, कांग्रेस बोली- संविधान विरोधी सोच

आपातकाल पर एक कार्यक्रम में बोलते हुए आरएसएस महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना में बदलाव की मांग की थी. इसकी आलोचना करते हुए कांग्रेस ने कहा कि आरएसएस ने आंबेडकर के संविधान को कभी स्वीकार नहीं किया और उनकी मांग इसे नष्ट करने की साज़िश का हिस्सा है.

नई दिल्ली: संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की समीक्षा की मांग करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) की आलोचना करते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार (27 जून, 2025) को आरोप लगाया कि आरएसएस ने बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान को कभी स्वीकार नहीं किया और उनकी मांग इसे नष्ट करने की साजिश का हिस्सा है.

आरएसएस ने गुरुवार (26 जून, 2025) को संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों की समीक्षा करने का आह्वान करते हुए कहा कि इन्हें आपातकाल के दौरान शामिल किया गया था और ये कभी भी बीआर आंबेडकर द्वारा तैयार संविधान का हिस्सा नहीं थे.

कांग्रेस महासचिव (संचार प्रभारी) जयराम रमेश ने कहा कि आरएसएस ने भारत के संविधान को कभी स्वीकार नहीं किया है.

उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘आरएसएस ने कभी भी भारत के संविधान को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया. 30 नवंबर 1949 से ही उसने डॉ. आंबेडकर, नेहरू और संविधान निर्माण से जुड़े अन्य लोगों पर हमले किए. स्वयं आरएसएस के शब्दों में, यह संविधान मनुस्मृति से प्रेरित नहीं था.’

उन्होंने कहा, ‘आरएसएस और भाजपा ने बार-बार नए संविधान की मांग उठाई है.’

रमेश ने कहा, ‘यह 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी का चुनावी नारा था. लेकिन भारत की जनता ने इस नारे को निर्णायक रूप से खारिज कर दिया. फिर भी, संविधान की मूल ढांचे को बदलने की मांग लगातार आरएसएस इकोसिस्टम द्वारा की जाती रही है.’

उन्होंने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने स्वयं 25 नवंबर 2024 को उसी मुद्दे पर एक फैसला सुनाया था, जिसे अब एक प्रमुख आरएसएस पदाधिकारी द्वारा फिर से उठाया जा रहा है. क्या वे कम से कम उस फैसले को पढ़ने का कष्ट करेंगे.

कांग्रेस ने अपने आधिकारिक हैंडल से एक्स पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि आरएसएस-भाजपा की सोच संविधान विरोधी है.

कांग्रेस ने कहा, ‘अब आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना में बदलाव की मांग की है. होसबोले का कहना है- संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द हटा दिए जाने चाहिए. यह बाबा साहब के संविधान को नष्ट करने की साजिश है, जिसे आरएसएस-भाजपा हमेशा से रचती रही है.’

कांग्रेस ने कहा कि जब संविधान लागू किया गया तो आरएसएस ने इसका विरोध किया था.

पार्टी ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता खुलेआम कह रहे थे कि संविधान बदलने के लिए हमें संसद में 400 से अधिक सीटें चाहिए. आखिरकार जनता ने उन्हें सबक सिखा दिया. अब एक बार फिर वे अपनी साजिशों में लगे हैं, लेकिन कांग्रेस किसी भी कीमत पर उनके इरादों को कामयाब नहीं होने देगी. जय संविधान.’

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, आपातकाल पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आरएसएस महासचिव होसबोले ने कहा, ‘बाबा साहब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया, उसकी प्रस्तावना में ये शब्द कभी नहीं थे. आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, संसद काम नहीं कर रही थी, न्यायपालिका लंगड़ी हो गई थी, तब ये शब्द जोड़े गए.’

उन्होंने कहा कि बाद में इस मुद्दे पर चर्चा हुई, लेकिन प्रस्तावना से इन्हें हटाने का कोई प्रयास नहीं किया गया. इसलिए प्रस्तावना में इन्हें रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए.

होसबोले ने कहा, ‘प्रस्तावना शाश्वत है. क्या समाजवाद के विचार भारत के लिए एक विचारधारा के रूप में शाश्वत हैं?’

आरएसएस के दूसरे सबसे वरिष्ठ पदाधिकारी ने दोनों शब्दों को हटाने पर विचार करने का सुझाव ऐसे समय दिया है जब उन्होंने कांग्रेस पर आपातकाल के दौर की ज्यादतियों के लिए निशाना साधा और पार्टी से माफी मांगने की मांग की.

salam india
Author: salam india

Leave a Comment

[youtube-feed feed=1]
Advertisement
[the_ad_group id="33"]
[the_ad_group id="189"]