November 11, 2025 4:37 am

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बूंद-बूंद को तरसते लोग, सरकार सुशासन तिहार में मस्त!

छत्तीसगढ़

बेमेतरा से विशेष रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में जल संकट भयावह रूप ले चुका है। हालात इतने बदतर हैं कि ग्रामीणों को रेत से लदे हाइवा ट्रकों से रिसते पानी को इकट्ठा कर पीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। तस्वीरें सबूत हैं—महिलाएं बर्तन लेकर घंटों सड़क किनारे खड़ी रहती हैं ताकि कुछ बूंदें पानी की मिल जाएं।

ये तस्वीरें छत्तीसगढ़ सरकार के ‘सुशासन तिहार’ पर करारा तमाचा हैं। एक तरफ़ प्रदेश सरकार जल संकट जैसे गंभीर मुद्दों की अनदेखी कर रही है, वहीं दूसरी तरफ़ स्कूलों को मर्जर के नाम पर बंद किया जा रहा है और नई शराब दुकानों की भरमार की जा रही है।

जनप्रतिनिधियों की संवेदनहीनता का आलम ये है कि वे मिनरल वाटर की बोतलें लेकर तिरंगा यात्रा निकालने में व्यस्त हैं, जबकि जनता नलों से नहीं, भीगी हुई रेत से लदे ट्रकों से टपकते पानी से अपनी प्यास बुझाने को मजबूर है। क्या यही ‘गर्व से कहो छत्तीसगढ़िया’ का मतलब है?

राष्ट्रीय जल संकट के नक्शे में छत्तीसगढ़ का नाम अब ‘क्रिटिकल ज़ोन’ में दर्ज हो चुका है। लेकिन सरकार को दिखता कुछ और है—त्योहार, प्रचार और शराब की दुकानें।

प्रश्न यह है:

  • कब जागेगी सरकार?
  • कब ग्रामीणों को स्वच्छ पेयजल मिलेगा?
  • कब बंद होंगे दिखावटी उत्सव, और शुरू होगी ज़मीनी योजनाओं की क्रियान्वयन?

अगर सरकार अब भी नहीं चेती, तो छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में पानी को लेकर हालात और भी बदतर हो जाएंगे। तब शायद न तिरंगा यात्रा बचेगी, न सुशासन का ढोंग।

salam india
Author: salam india

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